हीट स्ट्रोक (Heat stroke)- लू लगना

परिचय

सामान्यतः सब लोगों को मालूम है कि गर्मी के मौसम में सूर्य की किरणें बहुत तेज हो जाती हैं।

कड़ाके की घुप पड़ती हैं

उसी में गर्म हवाएं (लू )चलती हैं  जिसका असर मानव एव जीव जन्तु, पेड़ पौधों सभी पर पड़ता है।

लेकिन यहां पर हम मानव जीवन व उनके स्वास्थ पर पड़ने वाले असर की बात करेंगे

इस समय अप्रैल के महीने मे जिस प्रकार से गरम हवा चल रही हैं (इसे ही लू कहते हैं)

इस से गर्मी व लू के प्रकोप का अंदाजा लगाया जा सकता हैं।

अभी आने वाला समय मई और जून में पड़ने वाली गर्मी कितनी खतरनाक होंगी इसका अनुमान लगाना पड़ेगा।

क्यों की ये गर्म हवाएं (लू) हमारे सेहत के लिए बहुत खतरनाक साबित हो रहा है और होगा भी

इससे अलर्ट रहने की जरूरत हैं ।

नही ये जानलेवा साबित हो  सकती हैं।

हीट स्ट्रोक (heat strock) लू लगना

 

सामान्यतः गर्मी के टाईम में मनुष्य को कॉमन लक्षण होता हैं।

1-आलस्य, थकान, कमजोरी बहुत ज्यादा लगती है

2– गर्मी की वजह से शरीर में पानी की कमी होती है जिससे चक्कर आना, उल्टी महसुस होना, दस्त होना, कालरा हो जाना, मुख सुखा हुआ महसूस करना, प्यास ज्यादा लगना, बॉडी का तापमान बढ़ जाना सिर दर्द होना

मौसम में गर्मी ज्यादा होने से शरीर में पानी और नमक और अन्य मिनरल की कमी होने लगती हैं

जिसे डिहाइड्रेशन भी कहते हैं।

जिससे शरीर में ऐठन होती है खास करके हाथ, पैर, पीठ आदि अंगो में होता हैं। जिसे हीट क्रैंप भी कहा जाता हैं जिसमे तेज दर्द का अनुभव होता हैं

3– दिल की धड़कने बढ़ जाती हैं।

4– सांस लेने में दिक्कत होती हैं।

5– पसीना आना बंद हो जाता हैं जिससे शरीर से गर्मी बाहर नहीं निकल पाती हैं।

6– पूरे शरीर पर लाल लाल दाने निकल आते हैं और शरीर का तापमान बढ़ जाती है।

7– इसी क्रम में चेचक भी हो जाती हैं।

हीट स्ट्रोक (heat strock)

हीट स्ट्रोक एक ऐसे बीमारियों का समूह है जिसमे उल्टी, दस्त, कालरा, पेट दर्द, हाई फीवर 103 डिग्री फारेनहाइट तक, ग्लूकोज और पानी की कमी, चक्कर आना, बेहोसी आना, मांस पेशियों का ऐंठन, माइग्रेन, अन्य सिर दर्द, कमजोरी महसूस होना, आलस्य, सुस्ती, नीद आना आदि होता हैं।

प्रायः ये तेज धूप लगने के कारण डेवलप होता हैं। और ये इमरजेंसी सिचुएशन होता हैं हॉस्पिटल में एडमिट होने वाली।

हीट स्ट्रोक क्यो होता हैं?

जब शरीर पर और खास कर माइंड पर

ज्यादा गर्मी के इन्वायरमेंट में रहने से, गर्मी लग जाती है यानी ज्यादा देर तक गर्मी को सहते रहने, जबकि दिल , दिमाक,और बॉडी सहन करने से इंकार कर रही हो तब भी आप जबर जस्ती उससे लड़ रहे हैं।

तब हीट स्ट्रोक व सन स्ट्रोक के लक्षण जो मैं ऊपर बताया हु होने लगेंगे। और जान लेवा साबित हों जाता है।

हीट स्ट्रोक का माइंड पर प्रभाव

जब आप के सिर में धूप लग जायेगी तो उसके

परिणाम स्वरूप माइंड के परफॉर्मेंस पर बहुत प्रभाव पढ़ता है जिससे ध्यान, स्मृति, तर्क की शक्ति, और कन्फ्यूजन होने लगेगा, नर्वसनेस होने लगेगी,घबराहट आदि हो सकता हैं।

माइंड में गर्मी से हीट स्ट्रोक भी आ सकता हैं

गर्मी के मौसम में किस प्रकार के लोगो को रिस्क ज्यादा रहता हैं?

गर्मी के टाईम में …..

1 – 4 साल से कम उम्र के बच्चे, इनफैंट (infants) खास करके बीमार एव दुबले पतले एव शारीरिक रूप से कमजोर बच्चो को ज्यादा दिक्कत होती है।

2- हर ओ वयस्क(adult) जो शारीरिक रूप से कमज़ोर व दुबला पतला हैं अथवा ओ मोटापा से परेशान है अथवा कोई न कोई दवा का सेवन कर रहा हैं ।

अतः इन लोगों को गर्मी बहुत परेशान करती है और इस प्रकार के लोगो की इम्यूनिटी भी बहुत कमज़ोर रहती हैं।

नोट – जो लोग दुबले होते हैं उनको धूप और लू ज्यादा लगती है क्यों की फैट उनके पास होती नही हैं जो प्रायः धूप से बचाती है ।

और जो लोग ज्यादा मोटे होते हैं उन लोगो को स्किन की कई समस्याएं होती है इस प्रकार के लोगो में मेटाबोलिक सिंड्रोम होता है जो गर्मी व लू में ज्यादा बाढ़ जाती हैं

3 – हर ओ व्यक्ति जिसकी उम्र 60 वर्ष से अधिक होती हैं।

उनको भी प्रायः गर्मी ज्यादा परेशान करती है

क्यों की ओ लोग भी शारीरिक रूप से कमज़ोर होते है और उनकी भी इम्यूनिटी कमजोर होती है ।

और प्रायः ये लोग भी कोई न कोई दवाई ले रहे होते हैं।

झटके आना

गर्मी के टाईम में जब गर्मी की वजह से शरीर में पानी की कमी हों जाती है तो बॉडी के इलेक्ट्रिकल फंक्शन डिस्टर्ब हो जाता है।

जिससे पूरे शरीर मे ब्लड के द्वारा जो ग्लूकोज और अन्य मिनरल जैसे – सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि खास करके ब्रेन तक नहीं पहुंच पाता है

तो इस स्थिति में ब्रेन और शरीर के बीच जुड़ाव और सम्बाद रुक जाता हैं अथवा बाधा आती हैं तो झटके आने लगते हैं।

गर्मी व लू से अपने आप को कैसे बचाएं

1– आप 40 डिग्री पारा में ना रहे उससे ज्यादा से ज्यादा बचे।

2– कॉटन के कपड़े पहनें पूरे बॉडी को ढक के रखे यदी आप घर से बाहर है या यात्रा पे जा रहे हैं तो।

3– पानी का सेवन ज्यादा से ज्यादा करे।

4– लिक्विड डाइट ज्यादा ले जैसे – फलों के जूस, दलिया, खिचड़ी, दही , छांछ , ग्लूकोज के घोल  आदि।

5– हरी सब्जियां और फल का सेवन ज्यादा से ज्यादा करे।

6– ठंडे वातावरण में रहे।

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