परिचय (Introduction)
डाईजेशन(DIGESTION)को हम इस प्रकार समझते हैं
प्राय: हमारा शरीर छोटी-छोटी कोशिकाओं से मिलकर बना है। और ये कोशिकाएं मिलकर टिशूज बनाती हैं
और इन टिशुज से ऑर्गन बनता है और कई सारे आर्गन मिलकर
ऑर्गन सिस्टम का निर्माण करते हैं जिसमे से एक डाइजेस्टिव सिस्टम भी होता है
जो डाईजेशन(DIGESTION)की प्रक्रिया करता हैं
हमारे शरीर को जिंदा रहने के लिए हर कोशिका को ऑक्सीजन, पोषक तत्व और ग्लूकोज की जरूरत पड़ती है।
हमारे शरीर के हर कोशिका को ऑक्सीजन की सप्लाई रेड ब्लड सेल्स (RBC) के माध्यम से हमारे फेफड़े करते हैं।
और ग्लूकोज और पोषक तत्वों की सप्लाई हमारे शरीर के हर सेल्स को हमारा डाइजेस्टिव सिस्टम करता है।
आत: सरल भाषा में हम कहें कि डाइजेशन(DIGESTION)क्या है? तो डाइजेशन एक प्रक्रिया है
जो हमारा पूरा डाइजेस्टिव सिस्टम इसको पूरा करता है।
हम जो कुछ भी खाना खाते हैं उसमें मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट, वसा, और प्रोटीन पाया जाता है।
इसको हमारा डाइजेस्टिव सिस्टम पचाकर इसमें से न्यूट्रिएंट्स जैसे- (एमिनो एसिड, फैटी एसिड, ग्लूकोस) को निकालकर
हमारे बॉडी को सप्लाई करता है और अपशिष्ट पदार्थ (waste material) एंड टोक्सिन (toxin) को मल, मूत्र के रूप में
शरीर से बाहर कर देता हैं इसे ही डाईजेशन कहते हैं
जिससे हमारा शरीर का विकास होता है और हमारी शरीर जिंदा रहती है।
नोट-डाइजेस्टिव सिस्टम के बारे में अगले टॉपिक में डिटेल में बताऊंगा
हमारा डाईजेशन(DIGESTION)क्यों ख़राब होता हैं ?
खराब डाईजेशन(DIGESTION) के 7 कारण
1-नहाने के तुरंत बाद खाना, खाना अथवा खाना खाकर तुरंत नहाना
खाना खाने के बाद हमारे पेट में पाचन अग्नी उत्पन्न होती है शायद सामान्यत: यह सब लोग जानते हैं।
यह प्राकृतिक रूप से होता है हर खाने के बाद पाचन अग्नि उत्पन्न होती है तो शरीर का तापमान भी बढ़ता है।
तभी हमारे खाने का सही से पाचन और अवशोषण हो पाता है जिससे हमारे शरीर को भरपूर पोषण मिलता है।
अतः नहाने के तुरंत बाद खाना खाना अथवा खाना खाने के तुरंत बाद नहाना प्रकृति के विरुद्ध है।
इससे हमारे शरीर का तापमान कम होता है और हमारी पेट में जलने वाली अग्नि मंद हो जाती है जिसे खाने का पाचन सही से नहीं हो पाता है।
अतः इस आदत से हमारा पाचन कमजोर होते जाता है।
अतः हमें नहाने के 15 से 20 मिनट बाद खाना खाना चाहिए और खाना खाने के बाद कदापि नहीं नहाना चाहिए
हमारे खाने का पाचन और ठीक प्रकार से हो। प्रायः इसमें एक बात का और ध्यान देना चाहिए कि खाना खाने के
45 मिनट या 1 घंटे के बाद पानी पीना चाहिए।
2-डाईट के मेल (combination) पे प्रति ध्यान न देना अथवा गलत खाना खाते रहना
बहुत से लोग लगातार फास्ट फूड, जंक फूड अथवा मैदे से बनी हुई चीजों का सेवन करते रहते हैं
यह लोग सोचते हैं मैं तो जो कुछ भी खाता हूं, पच जाता है।
प्राकृतिक रूप से 16 से 18 वर्ष तक पाचन शक्ति मजबूत होती है। उसके बाद से 35 से 40 वर्ष तक व स्थिर रहती है।
उसके बाद डाउन होने लगती है।
इस बात का लोगों को ध्यान देना चाहिए।
गलत खानपान से मेटाबोलीज्म भी धिमा होता है जिससे कई सारे रोग होने के चांसेज बढ़ जाते हैं
कुछ गलत खानपान के चॉइस
जैसे-
-दूध के साथ फल खाना
-चाय के साथ नमकीन।
-खाना खाने के बाद चाय अथवा कॉफी पीना!
-खीरे का रायता इत्यादि।
इस तरह के खाने का चॉइस डाइजेशन को स्लो करता है।
इसका असर प्रायः 40 की उम्र के बाद दिखता है।
नोट–जिनका पाचन ऑलरेडी कमजोर है, उनको शाम के टाइम पर सलाद भी नहीं खाना चाहिए।
इससे खराब पाचन के लक्षण और भी बढ़ जाते हैं।
3-कुछ खाद्य पदार्थ को 1 सप्ताह अथवा 15 दिन के लिए एक ही बार मे स्टोर कर लेना
कुछ लोग खाना बनाने की डर से तेल में फ्राइड डिशेज जैसे -मालपुआ ,गुझिया ,समोसे ,पकौड़े,कचौडी,पुडी
आदि फ्रीज में स्टोर करके लंबे दिनों तक खाते हैं।
इस तरह के खाने से डाइजेशन स्लो होता हैं।
आयुर्वेद के लिहाज से इस तरह के खाने न्यूट्रिशन खो देते हैं।
4- एक ही तरह के खाने का यूज़ लंबे टाइम तक करते रहना।
डेली डाइट और बैलेंस डाइट को ध्यान में रखते हुए आदमी को प्रतिदिन खाने बदल बदल के खाने चाहिए।
जैसे अक्सर लोग अनाज में गेहूं को और चावल को ही खाते रहते हैं। जबकि उनको मल्टीग्रेन और बाजरा ( millets) खाना चाहिए।
तेल की कैटेगरी में केवल सरसों का तेल खाते रहते हैं जब कि इसको भी बदल-बदल कर खाना चाहिए
बैलेंस डाइट और न्यूट्रीशन के लिहाज से, हरी सब्जियों का बहुत महत्वपूर्ण रोल होता है
आदमी के जीवन में ,जिसे खाना बहुत जरूरी होता है, लेकिन कुछ लोग केवल ऑइली और स्पाइसी खाते रहते हैं
और इन सब्जियों को इग्नोर करते हैं। पूरे हफ्ते नॉनवेज, मशरूम ,पनीर आदि खाते रहते हैं
जो पाचन शक्ति को बहुत ही कमजोर बनाता है।
5-अपने शरीर के प्रकृति को न पहचानना।
सब लोगों की प्रकृति अलग-अलग होती है। कोई जरूरी नहीं है कि जो चीजें दूसरे को पच रही हैं,
वह आपको भी पचेंगे चाहे जो खाना आप को पच रहा है वो सबको डाइजेस्ट होगा
यदि हम चना की बात करें तो चना सबको नहीं पचता है। जिनका पाचन शक्ति पहले से कमजोर है,
चना उनको बिल्कुल नहीं पचेगा। लेकिन लोगों की टेंडेंसी है कि चना बहुत डाइजेस्टिव होता है जबकि ऐसा नहीं है।
आई बी एस (IBS) वाले पेशेंट को चना बिल्कुल मना है, जिनका पाचन शक्ति बहुत मजबूत है,
वह कच्चा चना भी पचा सकते हैं कमजोर पाचन वाले व्यक्ति को कच्चा चना भिगोकर या अंकुरित करके खाने में बहुत दिक्कत होती है
जबकि चने को बॉयल करके अथवा इस को भूनकर खाएंगे तो थोड़ा सा पचने में आसानी होगी।
कुछ लोगों को लेक्टोज इनटोलरेंस की दिक्कत होती है जिसमें दूध या दूध से बनी हुई चीजों को खाने के बाद अपच के लक्षण महशुस होते है।
जिनका पाचन शक्ति थोड़ा कमजोर है, उनको प्रोटीन से संबंधित चीजें उतना आसानी से डाइजेस्ट नही होंगी
जितना बहुत अच्छे पाचन शक्ति वाले व्यक्ति की रहेंगी।
इसलिए आपको जज करना पड़ेगा कि आपको क्या पच रहा है। क्या नहीं पच रहा है, मौसम का क्या असर पड़ रहा है
आपके पाचन शक्ति पर?
शायद आप पाचन की समस्या से जूझ रहे हैं तो प्रोबायोटिक आपको सूट करें।
6-बिना भूख के ही खाना खा लेना अथवा भूख को ध्यान में ना देते हुए खाना खाते रहना
बहुत से लोगों में एक टेंडेंसी होती है कि भूख को ध्यान में ना देते हुए स्वास्थ्य को ध्यान में न देते हुए जो कुछ भी मिल जाए।
स्वाद के हिसाब से खाते रहते हैं। इस आदत से धीरे-धीरे डाइजेस्टिव सिस्टम खराब होने लगता है।
इस आदत से आदमी के पाचन के अलावा कई और नुकसान होते हैं जैसे अधिक मोटा हो जाना। मेटाबोलिज्म का धीमा हो जाना जिससे कई
अन्य बीमारियों के होने की संभावना बढ़ जाती है।
यह बहुत मेजर मिस्टेक है इससे शरीर में कई अन्य तरह के विटामिंस, मिनरल्स एंड इलेक्ट्रोलाइट अनबैलेंसड हो सकते हैं।
7-शारीर में कोई अन्य रोग हो जाना
जब बॉडी में कोई शार्ट टर्म अथवा लॉन्ग टर्म रोग जैसे –बुखार ,खाँसी ,दर्द ,चोट ,सुजन ,फोंडा, हड्डी का टूटना ,कोई ऑपरेशन , मधुमेह,बी .पी, हर्ट रोग ,चिंता ,अवसाद ,माइग्रेन, टी.बी, कैंसर ,दवाओं का दुस्प्रभाव,आदि के कारण भी डाइजेशन स्लो अथवा ख़राब हो सकता हैं |
कैसे जाने हमारा डाईजेशन(DIGESTION) ख़राब हैं ?
खराब डाइजेशन(DIGESTION)के कुछ लक्षण
एसिडिटी-Acidity
एसिडिटी वह स्थिति है जिसमें
शरीर पाचन के लिए आवश्यक मात्रा से अधिक एसिड का उत्पादन करता है ऐसा तब होता हैं आईये समझते हैं |
सामान्यता भोजन के पाचन के लिए मनुष्य के अमाशय के अंदर उचित मात्रा में खाना के अनुसार एसिड रिलीज होता है
जिससे भोजन आसानी से पच सके, जब आदमी खाना ज्यादा खा लेता है अथवा उसका डाइजेशन स्लो होता हैं
तब उसका अमाशय इरिटेट हो जाता है तब अमाशय में आवश्यकता से अधिक हाइड्रोक्लोरिक एसिड का स्राव होता है जिससे एसिडिटी उत्पन्न होती है।
इसमे मरीज को छाती में जलन (heart burn),खट्टी डकारे ,पेट में जलन ,मुख में पानी आना, पेट में दर्द ,उल्टी आदि का शिकायत हो सकती हैं |
ब्लोटिंग-Bloating
ब्लोटिंग व स्थिति है जिसमे आदमी का पेट फुला हुआ महसूस होता है। इसके कई कारण हो सकते हैं।
जैसे डाइजेस्टिव फायर का धीमा होना, आंत में आवश्यकता से अधिक गैस होना आदि।
यही स्थिति खाली पेट या खाना खाने के बाद दोनों टाइम हो सकती है।
यह खराब पाचन का मेंन लक्षण है।
आंतों में अथवा डाइजेस्टिव सिस्टम में कहीं भी सूजन को भी ब्लोटिंग कहते हैं।
आंतों में सूजन, फूड प्वाइजनिंग अथवा इंफेक्शन से भी हो सकता है।
जिसके इनडाइजेशन से संबंधित कोई भी लक्षण हो सकता है।
बार बार उल्टी होना-Frequent vomiting
यह इनडाइजेशन का एक प्रमुख लक्षण है।
इसमें लंबे टाइम तक उल्टी महसूस होना , बार बार उल्टी होना हो सकता है
कब्ज़ होना-constipation
पेट न साफ होने को ही कब्ज कहते हैं
यह भी एक मेजर और बहुत बड़ी प्रॉब्लम है डाइजेशन समस्या की।
यह आंतों के इरेगुलर हो जाने की वजह से होता है। इसमें पैखाना बहुत सूखा और सख्त हो जाता है।
जिससे मल त्यागने में कठिनाई होती है इसमे मल थोडा थोडा आता है जिससे मल त्याग की प्रक्रिया दिन भर में कई बार होता है
अथवा 1 सप्ताह में दो या तीन बार ही होती है।
फल स्वरुप पेट में दर्द ,ब्लोटिंग, गैस ,एसिडिटी,उल्टी ,सुस्ती ,आलस्यपन का अनुभव करना पड़ सकता है।
प्रायः कब्ज से शरीर में कई अन्य तरह के रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
डायरिया-Diarrhea
डायरिया को प्राय: सब लोग जानते है इसमे पानी जैसा पतले दस्त (watery diarrhoea) होते है |
कभी कभी इसमे मल बहुत पतला ना होने की भी सिकायत होती है
इस कंडीशन में भी दीन भर में मल त्याग कई बार करना पड़ सकता हैं
अक्सर मल में पानी की मात्रा बढ़ जाती हैं जिससे पतले दस्त बार –बार होते हैं ये तब होता हैं जब आंत की संचालन तीब्र हो जाती हैं
ये भी ख़राब पाचन का बहुत मेंन लक्षण हैं | यह समस्या जितना ही तेज होती हैं उतना ही पतले दस्त लगातार होते हैं
इसमे पेट दर्द और गैस भी हो सकता है
डाइजेशन(DIGESTION) कैसे सही करें ?
डाईजेशन (DIGESTION)ठीक करने के कुछ मुख्य उपाय
-रोगों का प्रॉपर इलाज –यदि आपको कोई मुख्य रोग है तो उसका सही से इलाज कराए |
-ख़राब डाइजेशन के उपरोक्त कारणों , को अपने जीवन शैली से दूर करे |
-शुबह जगने के 45 मिनट बाद गुनगुना पानी 1 से 2 गिलास पिए |
-नास्ता टाइम से करे और इसको स्किप ना करे |
-नास्ते में सलाद, फल, अंकुरित का प्रयोग एक एक दिन के अंतर पे करें |
-लंच को भूख लगने पर और फिक्स टाइम पर करने का प्रयास करे |
-ज्यादा तेल और ज्यादा मसाला युक्त भोजन लगातार ना करे |
-दोपहर को लस्सी अथवा दही और शाम को दूध खाने में जरुर लें |
-एक ही बार में ज्यादा खाना ना खाएं ,थोडा –थोडा कई बार खाएं |
-अपने ख़राब डाइजेशन के लक्षण को इगनोर ना करें इसको सही करने का प्रयास करे अथवा डाक्टर को दिखाए |
-अपने जीवन में नियमित ब्यायाम करें |
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nice sir
Digestion se har aadmi paresan hai ,sabhi ko follow karna chahiye
Nice sir