आई बी एस (IBS)- अटैक

जानने से पहले हमे जानना पड़ेगा कि आई बी एस (IBS) क्या है?

आई बी एस (IBS)- अटैक

आई बी एस (IBS) क्या है ?

आई बी एस (IBS) जिसका फुल फॉर्म- Irritable bowel syndrome होता है

जिसमे बड़ी आंत बहुत सारे कारणों से ट्रिगर हो जाती है

और डाइजेशन संबंधित कई प्रकार के दिक्कतों को पैदा करती है जो आई बी एस के लक्षण संबंधित हेडिंग में बताऊंगा। जिसमे डाइजेशन से रिलेटेड सभी चेक अप नॉर्मल होती है। जिनका कोई फिक्स्ड कारण नहीं हैं बेसिकली बड़ी आंत का स्पीड (movement) कभी बढ़ जाती हैं तो कभी धीमी हो जाती है ये पूर्ण रूप से बड़ी आंत का प्रॉब्लम हैं जो पूरे डाइजेशन सिस्टम को प्रभावित करती हैं और लम्बे समय तक चलती रहती हैं।

कहीं आप को IBS तो नहीं?

IBS के लक्षण

यदि आपको बार-बार इनडाइजेशन और पेट से संबंधित दिक्कतें होती हैं

जैसे – पेट दर्द, डायरिया, कब्ज, गैस, एसिडिटी, उल्टी, उल्टी जैसा महसुस होना, पेट फूलना, हर्ट बर्न,सफेद अथवा लाल आव आदि

यदि यह सब दिक्कत लंबे टाइम के लिए चल रही है और आप की पेट से सम्बन्धित सभी जांच नॉर्मल हैं तो आपको आइ बी एस(IBS) हो सकता है।

भारत में पूरे पापुलेशन का 10 से 15% लोगों को आई बी एस होता है ये पूरे पापुलेशन का बड़ा हिस्सा है तो हम कह सकते है IBS एक कॉमन प्रॉब्लम हैं।

ये सिंड्रोम पुरुषो की तूलना में महिलाओं को ज्यादा होता हैं

IBS की पहिचान (diagnosis)

यदि आप पेट से संबंधित जो उपरोक्त वर्णित किया गया है, कोई भी लक्षण डॉक्टर के पास लेकर जाते हैं और डॉक्टर उसकी दवाइयां देता है और आपको आराम नहीं मिलता है तब डॉक्टर आप के लक्षण के अनुसार आप की जांच करता है और उस जांच में सभी रिपोर्ट्स नॉर्मल होती है

उसके बाद आपको डॉक्टर दुबारा अथवा तीसरी बार दवाई देता है फिर भी आप को पूर्ण रूप से आराम नही होता हैं

तब आप का डॉक्टर आपको आईबीएस डायग्नोज करता है।

आईबीएस की मुख्य पहचान यह है कि पेट से संबंधित दिक्कतें आपको बनी हुई हैं और आपकी पेट से संबंधित सारी जांच नॉर्मल हैं।

इसमें मरीज को मॉर्निंग टाइम पर फ्रेश होने के लिए 3 से 4 बार जाना ही जाना पड़ता है।

कब्ज और डायरिया दोनों कंडीशन में आई बी एस के कंडीशन में डायरिया का मतलब जरूरी नहीं है कि एकदम पतले दस्त हो हल्की चिकनी मल कई बार में होगी

आई बी एस (IBS)- Irritable bowel syndrome जो इसके नाम से ही पता चल रहा है कि (आंत का चिड़चिड़ा हो जाना) होता है

आई बी एस attack क्या है?

जब आई बी एस पेशेंट को पतली डायरीया 3 – 4 दिन से ज्यादा होती है तो आई बी एस (IBS)- अटैक माना जाता है इसके साथ मरीज को बुखार, घबराहट,गैस, एसिडिटी भी हो सकती है

दूसरा कंडीशन कब्ज हो सकता है जैसे 3- 4 दिन तक पैखाना हो ही ना, इसके साथ भी बुखार, एसिडिटी, गैस, घबराहट होती हैं ये कंडीशन 1 सप्ताह तक लगातार चल सकती हैं

NOTE – ये कंडीशन हॉस्पिटल मे एडमिट होने की होती है इसको घर पे ट्रीट नही किया जा सकता इसकी कोई फिक्स दवाएं नहीं होती हैं

डाक्टर लक्षण के एकार्डिंग दवाइयां करते हैं हर मरीज का अलग -अलग इंप्रूवमेंट होता हैं

इसके लक्षण और सुधार आशा के विपरीत होते हैं यदि आप को डायरिया होगी तो डायरिया इतना ज्यादा होगा कि आप सोच नही सकते

डॉक्टर भी हैरान एव परेशान हो जाते है दवाओं का असर सोच के खिलाफ हो जायेंगी और आप सोच नही सकते अचानक आप के लक्षण में बदलाव हो जायेगा डायरिया से कब्ज, कब्ज से डायरिया हो जायेगी।

सड़ेन चेंज हो जाता हैं यह टोटल बड़ी आंत के मूवमेंट पर डिपेंड करता है

जब कभी आपकी बड़ी आंत का मूवमेंट तेज हो जाएगा तो आपको डायरिया होगी आपकी बड़ी आंत जितना तेज चलेगी उतना ही ज्यादा डायरिया होगी

यदि आपकी बड़ी आंत की स्पीड नॉर्मल स्पीड से ज्यादा कम हो जाएगी तो उतना ही ज्यादा आपको कब्ज की शिकायत होगी

यह दोनों कंडीशन अपने साथ गैस, एसिडिटी, दर्द, वोमिटिंग आदि लक्षण लेकर आते हैं

आपको हो सकता है एक दिन डायरिया रहे तो 1 दिन कब्ज रहे एक दिन डायरिया रहे तो एक दिन कब्ज रहे

इस डायरीया और कब्ज की फ्रीक्वेंसी 2 दिन 3 दिन या 4 दिन की भी हो सकती है

जिसको मिक्स आई बी एस बोला जाता है आई बी एसएम

यदि आपको कब्ज की ज्यादा टेंडेंसी रहती है

तो उसको आई बी एससी बोला जाता है यदि आपको ज्यादातर डायरिया रहता है तो उसको आई बी एस -डी बोला जाता हैं

आई बी एस (IBS) – अटैक इन तीनों कंडिशन में हो सकता है।

IBS के कारण

लाइफ स्टाइल एव खान -पान

लाइफ स्टाइल एव खान -पान को आई बी एस का मुख्य कारण माना जाता हैं आयुर्वेद के अनुसार, जबकि ये सही भी हैं।

हालांकि साइंस IBS के किसी भी सटीक कारण का पता नही लगा पाई हैं।

तनाव एव डिप्रेशन

टेंशन एव अन्य मानसिक कंडिशन भी इसका मुख्य कारण होता हैं।

क्यो कि आंत एव ब्रेन (Gut and brain)का कनेक्शन होता है।

खराब पानी

खराब पानी हमारे पाचन क्रिया को ज्यादा खराब करता है जो सब लोग जानते है। खराब पानी हमारे पूरे स्वास्थ को प्रभावित करती हैं।

प्रोसेस फ़ूड

प्रोसेस्ड फूड मतलब बाज़ार में मिलने वाली बना बनाया खाना जो डिब्बे में बंद रहती हैं और जिनकी एक्सपायरी 3-6 महीने होती हैं खाने से आई बी एस होता है और ट्रिगर करती है।

सुबह का नाश्ता,लंच,डिनर

यदि आप टाईम से नाश्ता, लंच, डिनर नहीं करते है या स्किप करते हैं अथवा भूख लगी है और आप बहुत देर से खाते हैं या कम, ज्यादा खाते हैं, भूख लगी हैं तब पानी पी लेंते हैं,

आपको प्यास लगी है ध्यान न देकर खाना खा लेते है आदि आदत आई बी एस को जन्म दे सकती है

वर्क आउट

वर्क आउट बहुत ज्यादा करना या बिल्कुल नहीं करना भी इसका कारण बनता हैं।

जीवन में हर चीज़ का बैलेंस होना चाहिए

एक ही तरह का भोजन लम्बे समय तक लगातार करते रहना भी आई बी एस का कारण बनता हैं

पोषक यूक्त भोजन ना करना भी आई बी एस का कारण हो सकता हैं

IBS जेनेटिक भी होता हैं

आई बी एस का ईलाज

मेडिसिन

इसमें डॉक्टर मरीज के लक्षण के अनुसार दवाएं देते हैं।

एंटी एंजाइटी एंड एंटी डिप्रेसेंट

यदि मरीज को आई बी एस का मेन कारण एंजाइटी, डिप्रेशन है तो डॉक्टर एंटी एंजाइटी एंड एंटी डिप्रेसेंट दवाएं देंगे।

आप की नींद 8 घंटे की गहरी नींद होनी चाहिए ताकि आप का दिमाक अच्छे से काम कर सके डोपामिन, सेरोटिनिन अच्छे से रिलीज करे जो खुशी के रसायन होते हैं।

इसके साथ एंटासिड, ऐठन न हो इसके लिए, एंटी वॉमिटिंग, एंटी बायोटिक जो गट फ्लोरा को बहुत हेल्प करती हैं।

कुछ दवाई आई बी एस में हेल्प के लिए आती है

जैसे- Normaxin टैबलेट आदि

प्रोबायोटिक जो आई बी एस मरीज को बहुत ज्यादा हेल्प करती है।

कब्ज में राहत के लिए ईसबगोल की भूसी (husk)

एंटी डायरिया जैसे लोपामाइड आदि दे सकते हैं

ये सब दवाएं मरीज को अपने मन से नही लेनी चाहिए।

योगा

आई बी एस मरीज को योग का बहुत ज्यादा योगदान होता हैं।इसमें मरीज को निम्नलिखित योग जरूर करना चाहिए

कपाल भाती

कपाल भाती जो पूरे डायजेस्टिव सिस्टम को ठीक करता है।

मंडुक आसन

मंडूक आसन जो नाभि पर हाथ का मुठ्ठा बंद कर बज्र आसान पर बैठ कर आगे झुकना होता है। इससे आप के आंतो का मसाज हो जाता है गैस भी रिलीज होता हैं।

अनुलोम विलोम

जो आप के दीमाक के लिए सबसे बढ़िया माना जाता है दिमाग में ऑक्सीजन आसानी से पहुंच पाता है जो माइंड से सम्बन्धित सभी परेशानी में बहुत सहायक होता है।

सूर्य नमस्कार

जो पूरे शरीर को प्रभावित करता है एव इसका बहुत लाभ होता हैं ।

लाफिंग

अपने आप को खुश रखना बहुत जरूरी है जो पूरे स्वास्थ के लिए फायदे मंद होता है दीन भर में ठहाके मार के 2-3 बार हसना चाहिए।

वर्क आउट

अपने छमता के अनुसार आप एक्सरसाइज भी करेंगे तो इसका भी आई बी एस में बहुत लाभ होता है।

जैसे -वॉकिंग, जॉगिंग, हल्की रनिंग, जंपिंग, खेत में कुछ काम कर ली यदि आप ग्रामीण क्षेत्रों से है तो, आदि।

नोट – दोपहर में खाना खाने के बाद 25- 30 मिनट जरूर लेटना चाहिए।

और शाम को खाने के बाद 10 मिनट टहलना चाहिए अथवा

वज्र आसन पे 10 मिनट बैठना चहिए उसके बाद अपने बाएं साइड लेटना चाहिए

डाइट

डाइट का ही आई बी एस को ठीक करने में सबसे अधिक रोल होता है लगभग 80% जो अपने आप में बहुत बड़ा चेप्टर है।

जैसे – लो फोडमैप डाइट जो मैं इसके बाद एक अलग पोस्ट में बताऊंगा लो फोडमैप डाइट एक कार्बोहाइड्रेट पर आधारित डाइट है जो हमारी डाइजेस्टिव सिस्टम को कम उत्तेजित करती है जिसकी एक बहुत बड़ी लिस्ट है जो मैं एक अलग पोस्ट में बताऊंगा।

आई बी एस मरीज को लो फोड मैप की सभी डाइट में से भी छाटना (eliminate) पड़ता है

क्यों की हर मरीज को एक ही प्रकार की डाइट डाइजेस्ट नही होती हैं प्रत्येक मरीज का हिस्ट्री अलग होती हैं।

जैसे – एक उदाहरण लेते हैं ओनली फल का – सेव, नाशपाती, आम, तरबुज ये हाई फॉडमैप फूड हैं

तो जरूरी नहीं कि ये फल सभी आई बी एस मरीज को नही पचेगा ।

और कच्चा केला, कीवी, संतरा, मौसमी ये लो फोड मैप फल है तो सभी आई बी एस मरीज को पचेगा ही पचेगा ।

तो आई बी एस मरीज को एक डायरी पेन लेकर अपने लिए उचित डाइट को चेक कर के अलग करना पड़ता हैं ।

महत्वपूर्ण बात

खाना साकाहारी, और सादा यानी कम मसाला,तेल,मिर्च वाला होना चाहिए। फाइबर युक्त यानि हरी चीजे ( सलाद एव फल) ज्यादा से ज्यादा खाना चहिए।

आपका खाना पानी पीने के 45 मिनट बाद होना चाहिए।

और खाना के 90 मिनट बाद पानी पीना चाहिए।

ये आदत आप को बहुत फायदा करेगा खाना अच्छे से पचेगा आप की पेट की अग्नि धीमी नहीं होगी।

खाना के तुरंत बाद या पहले चाय और कॉफी नही पीना चाहिए इससे भी आप का आई बी एस ट्रिगर होगा।

भूख लगाने पे ही खाना, खाना चाहिए और भूख से थोड़ा कम ही खाना चाहिए यानी भूख लगने पे ही थोडा थोडा कर के खाना चहिए।

और भूल लगने पर खाना तुरंत खाना चाहिए लेट नहीं करना चाहिए।

मल मूत्र के त्याग में भी लेट नहीं करना चाहिए।

आई बी एस मरीज को क्या नहीं खाना चाहिए?

अनाज में गेहूं

गेहूं एक बार छोड़ कर चेक करना चाहिए कि हेल्थ मे सुधार हो रहा है कि नहीं।

क्यों कि गेहूं में ग्लूटेन एक प्रोटीन होता हैं जो अक्सर आई बी एस और सीलिएक रोग के मरीज को ग्लूटेन (गेहूं )से दिक्कत होती हैं।

कुछ लोगो को चना से भी दिक्कत होती है।

दूध

दूध भी आई बी एस मरीज को एक दम मना होता है क्यो कि दूध में लैक्टोज एक शुगर होता हैं जो पचने मे इस मरीज को दिक्कत करती हैं।

दूध से बनी चीजें भी मना होती हैं।

बाजार की बनी सभी खाना

बाजार में मौजूद सभी खाद्य प्रोडक्ट जो पैकेट में हो या पैकेट में ना हो

जैसे – पकौड़ी, समोसा, लौंग लत्ता, पुड़ी, कचौड़ी, वर्गर, मोमो, पिज्जा, चाय, काफी, अन्य डीप फ्राई खाना, मसाले वाला खाना, चिप्स, कुरकुरे, नमकीन, टोस्ट, बिस्कुट, केक, पेटीज, ब्रेड एव अन्य डिब्बा बंद प्रोडक्ट जैसे दूध, दही, लस्सी, छाछ, कोल्ड ड्रिंक्स आदि बिल्कुल नहीं खाना चाहीये

आई बी एस (IBS)-अटैक

को लोग सामान्य परेशानी जान कर इग्नोर करते रहते हैं इसपे भी ध्यान देने की जरूरत हैं।

आई बी एस (IBS)- अटैक

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