घुटने का दर्द एक आम बीमारी हो चुकी है। इस रोग में रोगी के घुटने में तेज दर्द (pain ) होता है !
दर्द के साथ-साथ कभी-कभी रोगी के घुटने में सूजन (inflammation ) और लालिमा (redness ) भी आ जाती है
यह दर्द कभी-कभी बहुत तेज (chronic ) होता है। जिसके कारण रोगी को चलने, उठने, बैठने, सीढ़ियां चढ़ने आदि में काफी कठिनाई होती है।
अक्सर यह घुटने का दर्द 50 वर्ष के आसपास के उम्र मे होता है। या उससे अधिक उम्र के लोगों में होता है।
लेकिन यह निश्चित नहीं है कि यह समस्या केवल 50 वर्ष से ऊपर के व्यक्ति में ही होती है, कभी-कभी घुटने का दर्द 5-6 वर्ष से या किसी भी आयु वर्ग में हो सकती है। लेकिन इसके कारण में अंतर होता है।
घुटने के दर्द (knee pain) के कारण
घुटने के दर्द (knee pain) के 4 कारण तो सामान्य (common )हैं
जो किसी भी उम्र ग्रुप मे हो सकता है !
1-चोट (injury )-
के कारण घुटने में दर्द होता है। जाहिर सी बात है। घुटने में चोट लगने पर हड्डी में फ्रैक्चर हो सकता है। जिससे दर्द का सामना करना पड़ता है। कभी- कभी ये फ्रैक्चर बहुत माइनर होता है ! आसानी से पता नहीं चल पाता है ,या मांसपेसियो मे खिचाव आ सकता है। यह चोट की स्थिति पर निर्भर करता है। यह किसी भी उम्र में हो सकता है।
2- घुटने का संक्रमण (knee infection )- इसे सुपरेटिव गठिया, संक्रामक गठिया के नाम से भी जाना जाता है। इस रोग में जीवाणु जोड़ में प्रवेश कर जाते है और अपनी संख्या बढ़ाने लगते हैं। नतीजतन, धीरे-धीरे जॉइन्ट मे मवाद बनने लगता है। इस बीमारी में कुछ बैक्टीरिया खून के जरिए या खुले घाव के जरिए जोड़ में पहुंच जाते हैं। कभी-कभी पहले से मौजूद अस्थि मज्जा के शोथ से भी बैक्टीरिया निकटतम सन्धि तक पहुंच जाते हैं।
3- रूमेटायड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis )- यह एक चिरकारी (chronic )नॉन बैक्टीरियल जोड़ो का रोग है । इस रोग से रोगी के शरीर के कई जोड़ प्रभावित हो जाते हैं। इस रोग में जोड़ों में अचानक सूजन और लाली हो जाती है।
4 –कॅानडरोमलेशिया पटेला (Chondromalacia patella )-
आमतौर पर हमारे घुटने मे हड्डी होती है।
और हड्डी के ऊपर एक आवरण होता है। जिसे कार्टिलेज(cartilage ) कहते हैं।
कार्टीलेज हमारे ऊपर की हड्डी थाई बोन (फीमर),नीचे की हड्डी (बोन टीबीय )और नी कैप (पटेला ) तीनों के ऊपर एक कवर की तरह काम करता है
और घुटने की चिकनाई को बनाए रखता है
कार्टिलेज की सबसे अच्छी बात यह है कि यह हमारे घुटनों में हर तरह के लुब्रिकेंट को बनाए रखता है।
हमारे घुटनों को फ्रिक्शन (friction ) मुक्त बनाता है और जिसकी वजह से हम कई बार बैठकर खड़े हो जाते हैं
और हमें दर्द नहीं होता लेकिन किसी न किसी व्यक्ति में एक अलग तरह की घुटने की संरचना होती है
जिसे पटेला अल्टा कहते है जिसमे पटेला (घुटने की टोपी) थोड़ी ऊपर बनी होती है
जिससे मरीज को चलने, बैठने या सीढ़ियां चढ़ने में पटेला फीमर को रगड़ता है
जिससे हड्डियों में दरारें आ जाती हैं और वहां कार्टिलेज खत्म हो जाता है और दर्द का सामना करना पड़ता है जिसे ठीक करने के लिए डॉ. दवा देते हैं
और कुछ व्यायाम बताते है और कुछ परहेज बताते है। जैसे -पालथी मारकर नहीं बैठना है,
सीढ़ीया नहीं चढ़ना है भारतीय शौचालय का प्रयोग नहीं करना है आदि इसमें कभी-कभी पटेला को ठीक करने के लिए
छोटे ऑपरेशन किए जाते हैं किसी-किसी हालत में बड़ा ऑपरेशन करना पड़ जाता है।
यह समस्या पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक पाई जाती है।
कॅानडरोमलेशिया पटेला(Chondromalacia patella )- के उपचार
इसमें प्राथमिक अवस्था में रोगी को विटामिन D, कैल्शियम, मल्टीविटामिन ,कार्टिलेज को मजबूत करने की दवा,आदि दी जाती है !
और कुरसी पर बैठने की सलाह दी जाती है विदेशी शौचालय का उपयोग करने का सुझाव दिया जाता है।
जिससे पटेला का फिमर बोन से रगड़ना कम हो जाता है और कट-कट की आवाज भी कम होने लगती है
और रोगी पूरी तरह ठीक हो जाता है।
नोट –उन योगासन को बंद करने की सलाह दी जाती है जिसमें घुटने का अधिक प्रयोग या दबाव हो।
जैसे -पद्मासन, वज्र आसन, लंजेज़् और स्क्वैट्स एक्सरसाइज आदि।
नोट
-5 वा कारण 40 से 45 की उम्र या इससे अधिक की उम्र वालों मे सुरु होता है !जो नीचे लिखा जा रहा हैं
5-ऑस्टियो आर्थराइटिस(Osteo Arthritis )-
इस बीमारी का मेन कारण कार्टिलेज(cartilage) का घिस जाना होता है! कार्टिलेज(cartilage) भी कई कारणों से घिसता है!
इस रोग को गाठ–बायं का दर्द, पोस्ट ट्रॉमेटिक अर्थराइटिस, डिजेनेरेटिव आर्थराइटिस और आर्थ्ररोसिस आदि के नाम से भी जाना जाता है।
यह रोग संधिशोथ का सबसे आम रोग है। इसमें जोड़ों के अंदर कई जगहों पर अपक्षयी परिवर्तन होते हैं।
इस रोग के भी 3 स्टेज होते है
1-माइल्ड –इसमे रोग प्रारंभीक पोज़िशन मे होती है इसमे डॉक्टर कुछ मेडिसन एवं योगासन की सलाह रोगी को देता है
और रोगी को आराम हो जाती है!
2-माँडरेट –इसमे रोग माइल्ड से अधिक होता है इसमे डॉक्टर मरीज को मेडिसन एवं घुटने मे इन्जेक्शन लगाने आदि की सलाह दे सकता है !
3-सेवरल –इसमे रोगी के घुटने का कैप्सल यानि कार्टिलेज पूर्ण रूप से घिसे हुये पाए जाते है !इसमें मेडिसन पर रोग सायद ही कंट्रोल हो !अतः इसमें घुटना रिपलेसमेंट की सलाह डॉक्टर देते हैं ।
ऑस्टियो आर्थराइटिस के मुख्य कारण :-
ओवर ऐक्टिविटी (आवश्यकता से अधिक काम करना जिसमे घुटने का प्रयोग अधिक हो) रोगी के जोड़ में दोष व विकार
जो पहले से ही होती है। जैसे – जन्म से ही पूर्ण विकसित नहीं होना , भंग के कारण जोड़ की सतह का बिगड़ना,
पुरानी बीमारी के कारण जोड़ के कार्टिलेज का बिगड़ना या घिस जाना जो मेन कारण है ,
जोड़ का आंतरिक दोष, जैसे – हड्डी का ढीला (Loose ) होना, शरीर का भार (वजन) अधिक होना ।
यह याद रखना चाहिए कि यह रोग हड्डियों में कार्टिलेज के घिसाव एवं टूट-फूट के कारण होता है।
जोड़ पर जितना अधिक दबाव पड़ता है, उतनी ही जल्दी उसमें परिवर्तन होते हैं,
इसलिए पैरों के जोड़ों में हाथों के जोड़ों की तुलना में जल्दी परिवर्तन होता है।
ऑस्टियो आर्थराइटिस के मुख्य लक्षण:-
इस रोग का प्रारम्भ धीरे-धीरे होता है। रोगी का दर्द कई वर्षों तक रहता है। सर्दी में दर्द ज्यादा होता है।
दर्द अपने आप कम तो कभी ज्यादा हो जाता है। सुबह उठने पर जोड़ में जड़ता आ जाती है।
सीढ़ियाँ चढ़ने पर रोगी को अधिक कष्ट होता है। लंबे समय तक बीमारी के बाद जोड़ों में खिंचाव आने लगता है।
घुटने का दर्द (knee pain):-के सामान्य -लक्षण(symptoms ) –
रोग के लक्षणों में जोड़ों में सूजन, जोड़ों में दर्द, बुखार, चक्कर आना, बैठने के दौरान जोड़ों में असहनीय दर्द,
चलने में लाचारी, थकान महसूस होना, शरीर में कमजोरी, भूख न लगना, वजन घटना, शरीर के अंगों की विकृति आदि देखने को मिलते हैं।
इस रोग मे क्या खाएं – खाने में संतुलित, सुपाच्य, चोकर के आटे की रोटी, छिली हुई मूंग की दाल खाएं.
हरी सब्जियों में सहिजन, खीरा, लौकी, पत्ता गोभी, टमाटर, परवल, गाजर, अदरक, लहसुन का सेवन करें।
पानी से भरपूर फल जैसे खरबूजा, तरबूज, पपीता, खीरा अधिक खाएं। गन्ने का रस, गुड़, अंकुरित अनाज, जौ का पानी, साबूदाना, अलसी के बीज अपने स्वादानुसार खाएं।
घुटने का दर्द में क्या न खाएं
बासी, गरिस्ट , घी-तेल में तला हुआ, मिर्च-मसालेदार खाना न खाएं। चाय, शराब, मक्खन, भिंडी, अरवी,
उड़द की दाल, चावल, मांस, दाल के सेवन से बचें। हवा पैदा करने वाले, यूरिक एसिड बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ न खाएं।
दही, इमली, सिरका आदि खट्टी चीजों का सेवन न करें।
बीमारी से बचाव के लिए क्या करें
बिस्तर पर आराम करें। प्रभावित हिस्से पर गर्म कपड़ा लपेटें। नमक के साथ गर्म पानी में एक कपड़ा भिगोकर निचोड़ लें,
फिर इससे प्रभावित हिस्से को सिकाई करें ! नियमित रूप से टहलें, व्यायाम करें और मालिश करें।
कब्ज दूर करने के लिए एनीमा किया जाता है। सीढ़ियाँ चढ़ते समय ,सैर के लिए जाते समय छड़ी का प्रयोग करें।
क्या न करें -ठंडी हवा, नम स्थानों और ठंडे पानी के संपर्क में न आएं।
घुटने के दर्द में पैरों को क्रॉस करके न बैठें। ज्यादा आराम करने की आदत न डालें। पेनकिलर की आदत न डालें।
नोट–जीन लोगों को फ्यूचर मे इस रोग से बचना है या इस रोग के संभावना को कम करना हो !
मुख्य रूप से ऑस्टियो आर्थराइटिस से वो लोग को निम्न सावधानिया रखनी चाहिए I
- वजन को बढ़ने ना दे I
- घुटने का अधिक प्रयोग न करे जिससे कार्टीलेज घिसने का चांस कम रहे I
- घुटने के साइड की मांस पेशियों को मजबूत करने की व्यायाम करे जिससे घुटने पे दबाव कम से कम पड़ेI
- घुटने मे कोई तकलीफ होने पर डॉक्टर से तुरंत सलाह लेI
- विटामिन की कमी(deficiency ) ना होने दे जैसे –कैल्सीअम ,विटामिन D, मल्टीविटामिन आदिI जो अक्सर 30 की उम्र होने पे कम होने लगती है I ये मेडिसन डॉक्टर की सलाह से ही लें !
मुझे आशा है की ये पोस्ट आप लोग जरूर लाइक करेंगे !मै अपनी एकऔर पोस्टा लिंक ऐड कर रहा हु !
Nice sir
Nice sir
Nice sir
Nice sir
Nice awarness for us sir
Nice knowledge bhaiya
Nice bhaiya ji
Good sir aaj ke time me sabhi log pareshan hai ,
Nice sir ji