टाइफाइड फीवर-Typhoid Fever

typhoid fever

सालमोनेला टायफी नामक जीवाणु (bacteria) के इंफेक्शन से फैलने वाला बुखार को टाइफाइड फीवर कहते हैं जब सालमोनेला टायफी नामक जीवाणु मुख के रास्ते प्रवेश करके हमारी आतों में इंफेक्शन करते हैं तो बुखार, डायरिया ,दर्द

और अन्य टाइफाइड के लक्षण उत्पन्न होते हैं।

सालमोनेला टायफी बैक्टीरिया हमारी आंतों को प्रभावित करता है  इसलिए इसका नाम एंटरिक फीवर  (Enteric fever ) भी है, वर्ल्ड में सबसे पहले यह इंफेक्शन टाइफाइड मैरी नामक व्यक्ति को हुआ था तभी से इस इन्फेक्शन का नाम टाइफाइड रख दिया गया और इस इंफेक्शन का मेन लक्षण फीवर है आत: तभी से इसका फाइनल नाम टाइफाइड फीवर हो गया।

टाइफाइड बुखार सालमोनेला टायफी नमक, 1 ग्राम ऋणत्मक नेगेटिव स्वत: गतिशील बेसिलस द्वारा उत्पन्न तीव्र संक्रामक रोग है जिसमें लगातार बुखार रहता है जो संक्रमित जल ,दूध एवं भोजन द्वारा बेसिलसों को सांस द्वारा अंदर खींचने से ,मक्खियों द्वारा ,एक रोगी से दुसरे रोगी में  संचारित होता है बेसिलस रोगी की छोटी आंत की पियर भित्तियों में स्थापित हो जाते हैं जिससे वहां जख्म बन जाते हैं और उसमें से रक्त निकलने लगता है अथवा उसमें छेद हो जाता है

यह बुखार धीरे-धीरे प्रकट होकर चार-पांच सप्ताह तक चलने वाला विशिष्ट रोग है।

टाइफाइड की अवधि 3 सप्ताह की होती है रोगी को आराम प्राय: चौथे सप्ताह के दौरान आरंभ होता है 

सालमोनेला टायफी के प्रकार -Types of Salmonella Typhi

Salmonella Typhi (S Typhi) – typhoid

Salmonella Paratyphi (S Paratyphi) – Paratyphoid

सालमोनेला टायफी इंफेक्शन से होने वाला फीवर टाइफाइड  कहलाता है।

और सालमोनेला पैराटाइफी से होने वाला फीवर पैराटायफाइड कहलाता है  हालांकि पैराटायफाइड कम देखने को मिलता है  टाइफाइड की तुलना में और यह कम सीरियस भी होता है।

टाइफाइड फीवर होने के कारण –Reason

टाइफाइड फीवर कॉन्टैमिनेटेड फूड जल और अन्य लिक्विड के  उपयोग से होता है।

जब आदमी दूषित भोजन करता है और पानी पीता है तो साल्मोनेला बैक्टीरिया उसकी आंत में जाकर संक्रमण करता है और सभी ऑर्गन, ब्लड ,टिशूज तक पहुंच जाता है।

साल्मोनेला बैक्टीरिया एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में डायरेक्ट और इनडायरेक्ट कांटेक्ट से फैलता हैं

Direct – saliva-जूठा खाने से अथवा संक्रमित व्यक्ति खाना खा कर अच्छे से हाथ नहीं धोया और आप को खाना सर्व (serve) कर दिया अथवा उसी बर्तन में आप खा लिए या किसी भी तरीके से बैक्टीरिया आप के लार-saliva के माध्यम से आतों तक पहुच गया तो आप टाइफाइड से संक्रमित हो जायेंगे

Indirect -stool & urine – जब संक्रमित व्यक्ति पैखाना या पेशाब के बाद अच्छे से  हाथ साफ नहीं करता है और खाने अथवा पानी को छूता हैं -तब भी बैक्टीरिया यदि आप के मुख के ही रास्ते आँतों तक पहुच जाय तो भी आप को संक्रमण हो जायेगा और

टाइफाइड के सभी लक्षण उत्पन्न हो जायेंगे वैसे saliva और urine से संक्रमण का चांस कम होता हैं, लेकिन stool –पैखाना से ही संक्रमण ज्यादा होता हैं

जब सालमोनेला टायफी बैक्टीरिया व्यक्ति के अंदर प्रवेश करता है तो उसके 7 से 14 दिन बाद टाइफाइड के लक्षण दिखना शुरू होते हैं।

टाइफाइड के लक्षण-Symptoms

मामूली बुखार आता है जो धीरे-धीरे बढ़कर 103 से 104 डिग्री फारेनहाइट तक हो जाता है, छाती गर्दन तथा पीठ पर लाल-लाल दाने उभर आते हैं  फिर इन में पानी भर जाता है दाने धीरे-धीरे ठीक होकर सूख जाते हैं और बुखार कम हो जाता है।

इसी बीच हृदय और नाड़ी की गति धीमी होना,  बेचैनी,  शरीर गिरा- गिरा सा रहना, तिल्ली का बढ़ना , आदि देखा जा सकता हैं    

मुख्य लक्षण-

तेज बुखार

पुरे शरीर में दर्द

सिर दर्द

पेट में दर्द

डायरिया

कब्ज

स्किन प्रॉब्लम

इनडाइजेशन, कमजोरी, पेट फूलना,  मुंह सूखना होठों पर पपड़ी जमना, जीभ सुखी व पपड़ीदार व  लाल होना, दस्त लगना जैसे लक्षण भी उत्पन्न हो सकते हैं।

डायग्नोसिस एंड इन्वेस्टिगेशन ऑफ़ टाइफाइड फीवर -Diagnosis and Investigation of Typhoid Fever

टाइफाइड फीवर को डायग्नोस करने के लिए विडाल टेस्ट सबसे कॉमन और हर जगह उपलब्ध होने वाला जांच है यह जांच बहुत आसान और सस्ता भी है।

बेसिकली विडाल टेस्ट दो प्रकार का होता है स्लाइड टेस्ट और ट्यूब टेस्ट

विडाल ट्यूब टेस्ट बहुत बढ़िया माना जाता है और इसमें सत्यता  (accuracy) होती है  बजाय  विडाल स्लाइड टेस्ट के, इसलिए विडल ट्यूब टेस्ट ही कराना चाहिए।

जब विडाल ट्यूब टेस्ट में

Anti -TH Titer: >1:160 से अधिक हो

और Anti -TO Titer: >1:80 से अधिक हो

तब विडाल टेस्ट पॉजिटिव माना जाता है।

इसके अलावा अन्य कई जाचें हैं जिससे टाइफाइड टेस्ट किया जा सकता हैं

जैसे –TyphiDot

        Blood culture

        Stool culture/ urine culture

        Bone Marrow

टाइफाइड में  क्या खाएं

ज्वार की प्रारंभिक अवस्था में बार्ली,  पानी,  साबूदाना, आरारोट,  पानी मिला दूध, छेने का पानी,  डबल रोटी,  बिस्कुट कम मात्रा में सेवन करें।

1 लीटर पानी में 3 से 4 लौन्ग डालकर उबाल लें फिर छान कर ठंडा कर लें इस पानी को एक कप की मात्रा में एक चम्मच शहद मिलाकर बार-बार पिए।

यदि डायरिया और दस्त की तकलीफ ना हो तो एक कप दूध में अथवा इतने ही पानी में एक चम्मच ग्लूकोस मिलाकर बार-बार पिए।

कम मात्रा में चाय कॉफी भी पी सकते हैं

फलों में सेब ,केला, नारंगी, मौसमी का रस ले सकते हैं।

जिससे आपकी कमजोरी दूर हो जाएगी।

टाइफाइड में क्या न खाए

गरिष्ठ भोजन, पेट में गैस पैदा करने वाले भोजन ना करें।

शराब या कोई भी नशीली पदार्थ ना खाएं,  खुले हुए,  दूषित खाद्य पदार्थ या बाजार का खाना या पानी न खाएं और पिए।

इनडाइजेशन से संबंधित कोई भी दिक्कत जैसे गैस, दस्त ,उल्टी हो तो दूध का सेवन ना करें,  जब तक पूर्ण रूप से टाइफाइड समाप्त न हो जाए तब तक कोई भी कठोर खाद्य पदार्थ जैसे चपाती आदि न  खाएं।

टाइफाइड में सहायक उपाय

पूर्ण रूप से विश्राम करें जब तक आप को टाइफाइड है।

अकेले ना रहे ,अपने पास पूर्ण रूप से साफ सफाई रखें और ताजी हवा आती रहे ऐसी व्यवस्था करें  खाने पीने का सामान साफ जगह में ढक कर रखें।

रोगी के कमरे में भीड़भाड़ न लगाएं।

मुख्य बाते

गंदगी के कारण यह रोग फैलता है रोगी व्यक्ति के मल मूत्र में यह जीवाणु निकलते हैं जो कि कम तापमान और नमी के वातावरण में अच्छी संख्या में वृद्धि करते हैं इनको मक्खी और मच्छर आदि खाने पीने की वस्तुओं तक पहुंचा देते हैं वहीं से खाने-पीने के माध्यम से यह स्वस्थ्य मनुष्य के आंतो में पहुंचकर वृद्धि कर रोग को फैलाते हैं।

सालमोनेला टायफी बैक्टीरिया छोटी आत के लासिकाभ उत्तक में इकट्ठा होकर अपनी संख्या में वृद्धि करते हैं यह बैक्टीरिया पित्त की थैली में एकत्रित होकर पित्त बाइल के द्वारा आंत में प्रवाहित होकर मल मूत्र के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाते हैं और संक्रमण का कारण बनते हैं। बुखार की समस्या होने पर एक कुशल चिकित्सक की देख रेख में दवाई ले और उसके कहे हुए सुझाव एव परहेज को अच्छे से निभाए जब तक आप स्वस्थ ना हो जाए ,कोई भी अन्य लक्षण या दिक्कत होने पे तुरंत डाक्टर से सलाह ले क्यों की कभी –कभी ये दिक्कत गंभीर (severe) अवस्था में पहुच सकती है ,जिसमे आंतो में छेद हो जाते है और मल (stool) के साथ ब्लड आने लगता हैं तब स्थिति कंट्रोल से बहार हो सकती है ।

Note – ज्यादा कमजोरी महसूस होने पे घबराये नहीं ये टाइफाइड का मुख्य लक्षण हैं ! बुखार समाप्त हो जाने के बाद आई हुई कमजोरी दूर करने के लिए किशमिश, मुनक्का, मूंग की पतली दाल, पतला दलिया, मक्खन, दूध , दही आदि खा सकते हैं

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