परिचय (Introduction)
चिलचिलाती धूप ,भीषण गर्मी इस समय मई जून के महीने में बहुत परेशान कर रही हैं वहीं 42 से 44 डिग्री के आस पास तापमान पहुंच रहा हैं जिसको हीट वेव कहा जाता है।
हीट वेव सभी जीव जन्तु एव मानव के स्वास्थ पर बहुत बुरा असर डाल रहा हैं।
जो हम इस पोस्ट में चर्चा कर रहे हैं।
हीट वेव -heat wave क्या होता हैं ?
सामान्य तौर पे हम कह सकते हैं की यदि किसी एरिए में तापमान,
(जिसे ऊष्मा, गर्मी, अधिक धूप भी कहा जाता हैं) ज्यादा होता है
और ये लंबे टाइम यानी 1 सप्ताह से ज्यादा रहता है और ये गर्मी और भी बढ़ रहा है तो उस इलाके में हिट वेव heat wave माना जाता हैं।
इस समय जून 2024 में हमारे उत्तर प्रदेश में खास करके पूर्वांचल में जो तटीय इलाकों में आता है हीट वेव चल रहा हैं
क्यो कि यहां गर्मी (तापमान) 43 -44 डिग्री चल रहा है
इससे हमारे स्वास्थ और पर्यावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। और हमारी अर्थव्यवस्था भी बहुत प्रभावित होती हैं।
भारतीय मौसम विभाग (India Meteorological Department.) –IMD के अनुसार तापमान यदि –
मैदानी इलाका(plain area) में 40 डिग्री से ज्यादा होता हैं तो उसे हिट वेव घोषित किया जाता हैं।
वही यदि तापमान पहाड़ी इलाका (Hilly area) में 30 डिग्री से ज्यादा होता हैं तो वहां हिट वेव माना जायेगा।
और यदि यही तापमान तटीय इलाका (Coastal area) में 37 डिग्री से ज्यादा होता हैं तो वहा हिट वेव डिक्लेयर किया जाएगा।
हीट वेव क्यों होता हैं?
इसके मुख्य रूप से 3 कारण होते हैं
1- जलवायु परिवर्तन – (Climate change)
दुनिया भर में तमाम मानवीय गतिविधियों के कारण ग्रीनहाउस गैस – कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ 2), मीथेन (सी एच 4),
ओजोन (ओ 3) ,नाइट्रस ऑक्साइड(एन 2 ओ), क्लोरोफ्लोरोकार्बन, का उत्सर्जन हो रहा है।
जिससे हीट वेव की घटनाएं हों रही हैं
2-शहरीकरण- (Urbanization)
शहरीकरण की प्रक्रिया के अंदर हम लगातार शहरों का निर्माण कर रहे हैं जिसमें लगातार बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बन रही है, कंक्रीट के जंगल बनते जा रहे हैं।
इस कंक्रीट के जंगल में बड़े पैमाने पर बिल्डिंग मौजूद हैं।
जो गर्मी को बड़े पैमाने पर बढ़ाती हैं।
जिससे हीट वेव की घटनाएं और बढ़ जाती हैं।
3-अल नीनो – (Al Nino)
अल नीनो की घटना के अंतर्गत प्रशान्त महासागर और इसके आस पास तापमान ज्यादा बढ़ जाता है।
जिससे इसका प्रभाव भारत पर भी होता है और ऊष्मा बढ़ाने में इसका मुख्य रोल होता है जिससे अल नीनो भी हीट वेव का कारण होता है।
हीट वेव (heat wave) का प्रभाव मानव स्वास्थ पर कैसे पड़ता हैं?
प्राकृतिक तौर पर हीट वेव हमारे स्वास्थ्य के लिए उतना खतरनाक नहीं होता है।
यह खतरनाक तब होता है जब हीट वेव के साथ-साथ मौसम में नमी (आद्रता) भी बहुत तेजी से बढ़ती है जिस से एक स्थिति बनती है जिसको वेट बल्ब टेंप्रेचर कहते हैं।
ये वेट बल्ब टेंप्रेचर हमारे स्वास्थ के लिए खतरनाक होती हैं।
क्यो की वेट बल्ब टेंप्रेचर में तापमान के साथ – साथ नमी तुलनात्मक रूप से ज्यादा होती हैं
जिससे हमारे शरीर में तापमान की वजह से मौजुद हीट (गर्मी), पसीने के रुप में निकल नही पाती हैं।
जिससे हमारे शरीर में हीट स्ट्रोक या मेटोबोलिक सिंड्रोम से संबंधित दिक्कत अचानक हो जाती हैं
जैस – बी.पी का अचानक ज्यादा बढ़ जाना या कम हो जाना, बेहोसी आ जाना, ऑक्सिजन लेवल कम हो जाना , बुखार, शुगर , अस्थमा, एलर्जी आदि का अचानक बढ़ जाना।
इसलिए वेट बल्ब टेंप्रेचर हमारे लिए कभी कभी जानलेवा साबित हों सकता हैं।
अक्सर उन लोग को जिनकी इम्यून सिस्टम कमज़ोर होते हैं।
जब हीट अधिक होती हैं तो उतना दिक्कत नहीं होती है।
क्यों कि पसीने के साथ गर्मी वाष्पित होकर निकल जाती है और हमें कूलिंग फील होती हैं।
लेकिन जब मौसम में नमी बढ़ जाती है तापमान की तुलना में,तो पसीने नहीं होते हैं।और हमारे शरीर से गर्मी नहीं निकल पाती हैं।
जिससे उपरोक्त सभी दिक्कतें हो सकती हैं।
और जब क्लाइमेट में नमी बढ़ जाती हैं तो एक और मानक “रीयल फील टेंप्रेचर” बढ़ जाता हैं।
अब रीयल फील टेंप्रेचर क्या होता है?
रीयल फील टेंप्रेचर को दुसरे शब्द में हीट इंडेक्स (heat index)
भी कहते हैं।
इसका मतलब ये होता है की निश्चित टाइम में आदमी का शरीर कितना टेंप्रेचर महसूस कर रहा हैं या झेल रहा हैं
ये हीट इंडेक्स एक ही समय में तापमान और नमी को काउंट करके निकलता है ।
अक्सर आप देखते होंगे जहां भी आप टेंप्रेचर देखते हैं उसके जस्ट नीचे रीयल फील का भी मानक लिखा रहता हैं।
वहीं वास्तव में हमारी बॉडी झेल रही होती हैं ।
जैसे – आज दिनांक 16/06/2024 को शाम 3 बजे रीयल फील टेंप्रेचर 49 हैं जबकि नॉर्मल टेंप्रेचर 43 से 44 काउंट किया जा रहा हैं।
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