बवासीर (PILES)

constipation is main reason for piles

परिचय (INTRODUCTION)

बवासीर PILES /हेमरायड्स (Haemorrhaids) रक्त धमनियों मे होती है जो गुदा द्वार (Anus) का रोग है ! इसमे खासकरके व्यक्ति को मल (stool) त्याग करते टाइम काफी दिक्कत होती है !

इस रोग मे गुदा द्वार (Anus) मे मस्से (Tumor) छोटे –छोटे (Anus) के अंदर या बाहर बन जाते है l

जिसे आम भाषा मे बवासीर (Piles) कहा जाता है l

इसे आयुर्वेद मे अर्श कहा जाता है यह आम भाषा मे बादी और खूनी दो प्रकार का होता है! बादी बवासीर मे गुदा द्वार मे दर्द,खुजली और सूजन होती है और 

खूनी बवासीर मे जो मटर के दाने के समान गुदा द्वार मे मस्से उत्पन्न होते है उसमे मल का टकराव से रक्त बुद –बुद करके निकलता है और दर्द भी होता है l

बवासीर क्या है और इसको कैसे ठीक करे ? - Quora

बवासीर PILES के प्रकार

यह मुखयतः 3 प्रकार का होता है !

1-Internal Piles (आंतरिक अर्श )- आंतरिक बवासीर मे मस्से मलाशय मे 1- 5 सेंटीमीटर तक अंदर हो सकते है  

यह स्थिति गुदा द्वार से 5 सेंटीमीटर अंदर कही भी हो सकती है l

2-External Piles ( बाहरी बवासीर )- इसमें छोटे-छोटे गांठ या मस्से गुदा द्वार के बाहर सटे हुए होते है l

3-Intro-external Piles (आंतरिक एवं बाह्य बवासीर )-

कुछ मरीजों मे दोनों प्रकार की बवासीर होती है यह एक कष्ट दाई स्थिति होती है इसमें मरीज को काफी दर्द का सामना करना पड़ता है और रक्त का बहाव भी ज्यादा होता है इसमे मल त्याग के टाइम (Anus) मे दर्द होता ही होता है मस्से कम भी रहे तब भी, और मस्से बढ़ जाते है तो भी, मल के टकराव से Anus मे दर्द और Blood (रक्त) भी आता है ! यही सबसे समान्य (Common) बवासीर है l

जो  लोगों को शिकायत ज्यादा रहती है यह रोग महिलाओ की तुलना मे पुरूष मे ज्यादा पाया जाता है और यह रोग 30 वर्ष से अधिक के उम्र के लोगों मे ज्यादा पाया जाता है l

बवासीर (piles) के कारण 

1 -कब्ज (Constipation)

2 -अधिक दस्त होना (Diarrhea)

3 -वंशानुगत (Hereditary)

4 -कमजोर मलाशय (Rectum)

5 -मल त्याग के टाइम दबाव (Straining)

6 -गर्भावस्था मे जरायु का दबाव (Pressure of uterus in Pregnancy)

7 -लगातार देर तक कठोर (Hard) स्थान पर बैठना

जैसे – जमीन ,फर्स,या लकड़ी की कुर्सी इत्यादि

8-Urethra मे रुकावट , जिससे जोर लगाकर पेशाब करना

9-प्रोस्टेट ग्लैण्ड की वृद्धि l

10-पेट के किसी भी रोग के कारण जैसे ,अजीर्ण ,अल्सर ,इत्यादि l

11-मलाशय कैशर (Rectum Carcinoma)

12-ह्रदय रोग के कारण l

13-लंबे टाइम तक Laxatives का इस्तेमाल करना l

14-मलाशय मे ओवेरीयन या किसी ट्यूमर का दबाव l

15-प्रतिहारी रक्त बहाव मे बाधा उत्पन्न होना !

बवासीर(Piles) के लक्षण (Symptoms)

1-जब यह रोग प्रारभ होता है तो उसके गुदा द्वार मे हल्का भारीपन महसूस होता है साथ ही साथ (Anus) मे खुजली,जलन,अधिक,जोर लगाकर मल त्याग करने पर कभी-कभी रक्त (blood) निकल जाता है !

2-रक्त निकलना (Bleeding) जब मरीज मल त्याग करता है  तो मल त्याग के तुरंत बाद दो –तीन बूंद ताजा रक्त गिरता है और दर्द भी होता है यह सबसे सामान्य (common) लक्षण है !

3-इस रोग मे रोगी को पखना सख्त और कम मात्रा मे होता है गुदा में कांटे चुभने जैसा दर्द ,सूजन हो जाता है !

4-अधिक रक्त गिरने से मरीज को रक्त की कमी (अनिमीया) हो जाता है जिससे दुर्बलता ,चक्कर ,घबराहट ,चिंता ,क्रोध,चिड़चिड़ापन आदि होता है प्रायः यह दिक्कत बवासीर के बहुत दीन हो जाने पर होता है !

बवासीर (piles) के -स्थिति (stage)

1- प्रथम श्रेणी (First Degree )- इस श्रेणी मे मस्से (हेमरायडस) जिनसे रक्त निकलता है परंतु वह गुदा द्वार के बाहर नहीं निकलते ,उनको प्रथम श्रेणी (First Generation ) के हेमरायडस कहा जाता है l

2-दिततीय श्रेणी (Second Generation ) – इस श्रेणी मे मस्से (Tumor) पखना करते समय बाहर आते है l और फिर अपने आप अंदर भी चले जाते है यह स्थिति जोर लगाकर पाखाना (Stool) पास करने पर होती  है l

और सामान्य जो लक्षण है –जैसे –दर्द ,खून का गिरना वह तो होता ही है लेकिन जब रोग पुराना हो जाता है तब मस्से बाहर आते है परंतु स्वतः अंदर नहीं जाते रोगी को अपने हाथ से मस्से को अंदर करना पड़ता है !इसे प्रोलेप्स (prolapse) भी कहते हैं !

3-तृतीय श्रेणी (Third Degree) हेमरायडस- इस श्रेणी मे मस्से हमेशा गुदा द्वार से बाहर निकले ही रहते है अंदर रुकते ही नहीं अंदर करने पर स्तिथि बहुत ही खराब सी अनुभव होती है  इसमे मस्से बाहर ही रहते है इस (condition )मे (operation) की सलाह डॉक्टर देता है!  इसमे ,खुजली,सूजन ,रक्त का आना ,दर्द बहुत ज्यादा होता है  मरीज को चिड़चिड़ापन और घबराहट भी होता है l

इस (condition) मे रोगी को चलने ,उठने ,बैठने मे काफी दिक्कत होती है मल त्याग के समय रक्त (Blood) ज्यादा गिरता है जिससे मरीज को अनिमिया हो जाता है जिससे मरीज को कमजोरी ,चक्कर भी ज्यादा होता है इसमे रोगी को प्रोलेपस के साथ हल्का म्यूकोइड पानी आना भी आरभ हो जाता है जिसमे गुदा के चारों ओर लालिमा आ जाती है  जिससे खुजली के साथ जलन का भी अनुभव होता है रोगी को आरंभ मे काटा चुभने जैसा दर्द भी होता है l

बवासीर (piles)–के इलाज (Treatment )

इसके अलग- अलग stage मे अलग –अलग (Treatment )होता है !

1-प्रथम (Frist Degree ):-

१ -कब्ज से बचे जो मेन कारण होता हैं !

२ –सलाद का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा करें !

३ –रेसे दार फल अथवा सब्जी खाए !

४ –पानी थोड़ी थोड़ी मात्रा मे कई बार पिए !

५ –कब्ज को कम करने के लिए छोटी हरड़ ,दूध मे भिगोया हुआ मुनक्का दूध सहित तथा ईसबगोल की भूसी ,या त्रिफला चूर्ण १-१ चम्मच रात्री के भोजन के १ से २ घंटे बाद सोने से पहले गुनगुने पानी से सेवन करे!

Softovac Powder or कोई Laxatives मेडिसन का प्रयोग कर सकते हैं ये सब औषधिया मल को मुलायम बनाती हैं जिससे कब्ज से बचा जा सकता है !

हमेशा गुनगुने पानी का सेवन किया करे !

६ –कपैसिटी के अनुसार नियमित व्यायाम (Exercise) करे !

७ –गुदा द्वार की दर्द कम करने के लिए रोजाना शौच के बाद एरंड या जैतून का तेल लगाए !

८ –सप्ताह मे एक बार एनीमा अवस्य लगाए !

९ –सोने से पहले गुदा द्वार मे मलहम (जैसे –जाईलोकेन,प्रोक्टोंसिडिल,पाइलेक्स आदि )मल त्याग से पहले क्रीम /ट्यूब के साथ प्राप्त नोजल के द्वारा गुदा के भीतर जरूर लगाए !

2 –द्वितीय (Second Degree) व

3 –तृतीय (Third Degree )- मे भी Frist Degree- मे वर्णीत परहेज व इलाज का उपयोग करे लेकिन रोग सही ना होने पर डॉक्टर की सलाह ले व इलाज कराए !

Note –इस कन्डिशन मे डॉक्टर रोग को देखते हुए ऑपरेशन की सलाह दे सकता हैं लेकिन ये निश्चित नहीं है की डॉक्टर ऑपरेशन की ही सलाह देगा,कुछ मेडिसन से भी इलाज संभव है!

NOTE –1 – (Frist Degree) मे वर्णीत परहेज रोगी को हर कन्डिशन मे करना चाहिए अपितु ऑपरेशन के बाद भी, कब्ज ही इसका मेन कारण होता है! ऑपरेशन के बाद भी परहेज न रखने पे ये रोग दुबारा हो सकता हैं !

NOTE -2 – जीन लोगों को अभी Piles की समस्या नहीं है! अथवा सुरुआती लक्षण दिख रहे है जैसे (ANUS) गुदा द्वार मे खुजली, दर्द,सूजन,रक्त आना व कब्ज की सिकायत ज्यादा हो, तो भी उपरोक्त वर्णीत FRIST DEGREE का परहेज व इलाज करना चाहिए,सावधानी रखना चाहिए !

NOTE-कृपया इस पोस्ट को पढ़ें और इससे सम्बन्धित कब्ज (constipation )topic को पढ़ने के लिए यहा CLICK करे !

 

 

 

 

 

 

 

 

     

 

 

 

 

 

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