मेटाबॉलिक सिंड्रोम (metabolic syndrome)
परिचय – Introduction
मेटाबॉलिक सिंड्रोम (metabolic syndrome)- मेटाबॉलिक सिंड्रोम एक जोखिम भरा हेल्थ सिचुएशन होता हैं
जिसमे विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओ
जैसे– मोटापा (obesity) खास करके तोद, हाई ब्लड सुगर (high blood suger), हाई ब्लड प्रेसर (high blood pressure)
हाई कोलेस्ट्राल अथवा अन्य लिपिड (lipid) सम्बंधित समस्या, थाइरोइड (thyroid), यूरिक एसिड का बढ़ जाना (high uric acid)
स्किन सम्बंधित बिमारीया (skin disease),
हड्डी और मांसपेसियो में कमजोरी (bone and muscles weakness), पेट (stomach) रिलेटेड बिमारीयों, थकान (tiredness) आदि को कहते हैं
जिसे चयापचय विकार के नाम से भी जाना जाता है
जो प्राय: चयापचय के संतुलन ख़राब हो जाने पर होता हैं
यह समस्या चयापचय के अधिक धीमा या तेज हो जाने पर होता है जो सामान्यतः ख़राब (careless) जीवन शैली के कारण होता है
मेटाबॉलिक सिंड्रोम एक ऐसी समस्या हैं जो आदमी को ख़राब खान-पान
और भाग दौड़ से भरी जीवन शैली के कारण धीरे-धीरे अपनी आगोश में ले लेता हैं।
और आदमी समझ नहीं पाता हैं क्यों की इसका कोई क्लियर और सीधा और जल्दी पहिचान में आने वाला लक्षण नहीं दिखता हैं
यह पूरी तरह ख़राब जीवन शैली की समस्या (syndrome) है ।
अब यहाँ समझ लेते है की चयापचय (metabolism) क्या होता है ?
चयापचय (metabolism) – जीवों में जीवनयापन करने के लिए शरीर में एक लम्बी रसायनिक प्रक्रिया होती हैं जिसका मेन कार्य, जिव जो भी खाना अथवा कोई भी खाद्य पदार्थ खाता हैं उसको एनर्जी में परिवर्तित करना और शरीर में मौजुद कैलोरी का सही उपयोग करना ही चयापचय (metabolism) होता हैं ।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम के कारण :-
मेटाबॉलिक सिंड्रोम होने का मुख्य कारण अधिक वजन (over weight) या मोटापा (obesity) खास करके तोद जिसे (visceral fat भी कहते है) होता है ।
जो प्राय: खराब जीवनशैली और गलत खान-पान
जैसे-
- स्वाथ्य को ध्यान न देंते हुए जो मन किया खाते रहना।
- बहुत ज्यादा खाना।
- पहला भोजन अभी पाचन क्रिया में है और दुबारा खा लेना।
- भोजन में पोषक तत्व का ना होना या बहुत कम होना।
- भोजन प्रकृति के अनुसार न होना।
- फास्ट फुड था जंक फुड़ का अधिक खाना।
- चाय, काफी, एल्कोहल, तम्बाकू आदि का अधिक सेवन करना ।
- खाने में मीठा पदार्थ एवं कार्बोहाईड्रेंट का ज्यादा सेवन करना।
- एक्सरसाईज विल्कुल ना करना।
- मोबाइल और टेलीविजन एवं लैपटॉप आदि का ज्यादा यूज़ करना।
- स्ट्रेस ज्यादा लेना, खाना बहुत जल्दी खा लेना (जिससे पाचन एवं चयापचय दोनों धीमा होता है)।
- मांशाहार एवं तला-भुना और मिर्च-मशाले आदि का प्रयोग ज्यादा करने के कारण हो सकता है ।
मोटापा अथवा मेटाबॉलिक सिंड्रोम होने का दूसरा कारण अनुवांशिक भी होता हैं जो माता-पिता से उनके बच्चों में, ये क्रमशः चलता रहता है
लेकिन लाइफ स्टाइल मॉडिफिकेशन से इसको भी कंट्रोल किया जा सकता है, या काफी जयादा कम किया गया है लोगो द्वारा।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम(metabolic syndrome) होने के लक्षण
मेटाबॉलिक सिंड्रोम होने के कुछ खास एवं डायरेक्ट लक्षण नहीं देखा जा सकता।
इसमें हम सीर्फ मोटापा (obesity) स्पष्ट रूप से देख सकते हैं।
खास करके तोद (belly fat) और कमर के चारो तरफ मोटापा (fat around waist)
अन्यथा हम कोई स्पष्ट लक्षण नहीं देख सकते बीना ब्लड टेस्ट के एवं ब्लडप्रेशर मेजर के।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम का पता लगाने के माध्यम
- ब्लड प्रेसर को मापते रहे हैं।
- सी बी सी (CBC) ब्लड टेस्ट कराये ।
- ब्लडशुगर एव लिपिड प्रोफाइल का नियमित टेस्ट कराएं ।
- बीमारी के लक्षणों को देखते हुए आप का डॉक्टर कुछ और टेस्ट भी करा सकते हैं।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम से बचने का उपाय
मेटाबॉलिक सिंड्रोम से बचने के लिए नेचुरल लाइफ स्टाइल अपनाये
जैसे– खाने में जयादा तेल मसाला ,जंक फ़ूड, फ़ास्ट फ़ूड, खाना ज्यादा खाने, पान, गुटखा, सिगरेट, शराब आदि के सेवन से बिल्कुल बचे।
खाना खाने एवं सोने जागने का समय निर्धारित करे, तनाव ना ले , नियमित ब्यायाम करे जो मैं Wait management नाम की टॉपिक में डिटेल में बताऊंगा ।
नोट- वजन जिनका ज्यादा हो चूका है वो वजन कम करने का प्रयास करें जिनका वजन नार्मल है वो वजन बढ़ने ना दे ।
बी एम आई (BMI) के फार्मुले का पालन करे ।
जैसे -BMI रेंज
- 20-25 नॉर्मल माना जाता हैं।
- 25 – 30 ओवर वेट (over weight) माना जाता हैं।
- 30 से ऊपर मोटा (obese) माना जाता है ।
Note – जिनका उम्र 20 से 30 के बिच में है और उनको कोई गंभीर बीमारी नहीं है उनको मांशपेशियो ( muscle mass) बढ़ाने की ब्यायाम करना चाहिए ।
जिससे शरीर फिट रहता है तोद निकलने की संभावना बहुत कम हो जाती है ।
और जिनका उम्र 30 से 35 या अधिक है ओ अपनी छमता अनुसार हल्का (lite) ब्यायाम (excersize) करे ।
यदि किसी को उपरोक्त वर्णित बीमारियों में से कोई भी दिक्कत हो तो डाक्टर से सलाह और इलाज जरुर ले।
और लाइफ को प्रकृति से जोंडे और जिन लोगो का वजन अभी संतुलन में है ओ अपने जीवन एवं इस तकलीफ के प्रति सजग हो जाये ।
Wait management And BMI पर भी पोस्ट share करूँगा जल्दी ही !
click here to read my related topic as सुगर
Very nice sir
Excellent
Nice