अस्थमा क्या होता हैं ?
जब श्वास नलिकाओं अथवा ब्रोंकाइल ट्यूब में सूजन हो जाती है तो यह श्वास नलिकाएं नैरो (संकरी) हो जाती हैं अथवा इनमें ऐंठन आ जाता है।
इस कंडीशन में ब्रोंकाइल ट्यूब में कभी-कभी म्यूकस भी भर जाता है जिससे हमें सांस लेने में दिक्कत होती है।
जिससे ऑक्सीजन आसानी से हमारे फेफड़ों में पहुंच नहीं पाता है और कार्बन डाइऑक्साइड आसानी से निकल नहीं पाता है।
प्राय: यह दिक्कत लंबे टाइम के लिए होती है या लाइफटाइम के लिए फिक्स हो जाती है तो हम इस परेशानी को अस्थमा, दमा
सांस की बीमारी, ब्रोंकाइल अस्थमा आदि कहते हैं।
अस्थमा के क्या कारण होते हैं?
वैसे तो अभी तक अस्थमा का कोई सटीक कारण पता नहीं चल पाया है लेकिन विज्ञान अस्थमा के कुछ रीजन को मानती है
जिन्हें दो भागों में बांटा गया है।
1-एटोपिक या बाह्य कारण (Atopic or Extrinsic reason)-
इसमे बाहर के एंटीजनिक चिजो के प्रति अति सम्बेदनशीलता होती हैं
शीघ्र प्रतिक्रिया (precipitation reaction) करने वाले कुछ कारण भी सम्मिलित हैं
Extrinsic asthama-संवेदनशील एयरवेज और ब्रोंकियोअस्थमा के मरीजों में सेंसिटिव एयरवेज और ब्रोंकियो पाया जाता है
जो प्राय: मौसम में परिवर्तन से भी प्रभावित होता है
जैसे- मौसम में एकाएक चेंज – अत्यधिक ठंड ,अत्यधिक गर्म,कुहासा,गर्म एवं ठंड हवा।
एलर्जी पैदा करने वाला तत्व -(allergen)
धूल-अस्थमा पेशंटों में धूल एलर्जी का मेंन कारण बनता है। धूल व धूल के कण जब सेंसिटिव एयरवेज में व ब्रोंकियो में जाते है तो उन्हें इरिटेट करते हैं और तब अस्थमा के लक्षण उत्पन होता हैं
अस्थमा के मरीज को धूल से बहुत बचने की जरूर होती है
धुआं – चूल्हे का धुआं, चिमनी का धुआं, कार एव: वाहनों का धुआं, कारखानों का धुआं आदि भी मौजूद अस्थमा मरीज, एव: एलर्जी हिस्ट्री वाले आदमियों में अस्थमा का मुख्य(major) कारण होता है।
रासायनिक गैस – रसायनिक गैस भी अस्थमा मरीजो को बहुत परेशान करती है जो प्रायः फैक्ट्रियों में अथवा कारखानों में, घर में एलपीजी,रोड पे सीएनजी आदि आसानी से उपलब्ध होते हैं।
प्रायः इन गैसो के प्रयोग से भी अस्थमा मरीजों को दिक्कत होती हैं
किसी भी पदार्थ का तेज (उत्तेजक) महक (smell) -किसी भी पदार्थ के तेज़ गंध से भी अस्थमा ट्रिगर हो सकता है जैसे – किसी भी जानवर के मृत बॉडी से स्मेल, किसी भी तेज कचरे के ढेर से महक, सब्जी अथवा किसी भी खाद्य पदार्थ के बनाने या उसके बाद की महक, कोई सेंट अथवा कारखानों से उत्पादन की प्रक्रिया में स्मेल इत्यादि से भी अस्थमा बढ़ सकता हैं।
चिंता – तनाव व कोई भी मानसिक परेशानी से भी अस्थमा महसूस हो सकता हैं अथवा हो सकता हैं।
वर्जिस – छमता से अधिक परिश्रम भी दमा को उखाड़ सकता यानी पैदा कर सकता हैं पहले के लोगों में ये परेशानी ज्यादा होती थी।
आन्तरिक कारण-Intrinsic reason
अनुवांशिक (Genetic) -अस्थमा के (Intrinsic reason) में परिवार का अनुवांशिकी इतिहास होता है
इसमें हर उस मरीज को अस्थमा होने का संभावना रहता है
जिसमें उनके पैरेंट्स और दादा -दादी को अस्थमा का दिक्कत चला आ रहा है
प्राय: यह दिक्कत आदमी को 40 वर्ष के बाद ही दिखाई देता है
अस्थमा के ओवरऑल पेशंटों में इसी टाइप की अस्थमा सबसे ज्यादा होती है।
अस्थमा के लक्षण ?
अस्थमा अथवा दमा का मुख्य लक्षण सांस फूलना एव खांशी होता है लंबे टाईम से इसके अलावा कई और लक्षण होता है।
जैसे – सांस लेने पर घरघराहट व सीटी बजने सा आवाज महसूस होना।
यह दिक्कत लंबे टाइम के लिए होती है अथवा लाइफटाइम के लिए हो जाती है।
सीने में जकड़न व भारीपन महसूस होना।
छाती में कफ जमा हुआ महसूस होना।
खांसी लगातार आना,खांसी बिना बलगम के अथवा बलगम के साथ हो सकती है।
सीने अथवा पीठ की मांसपेशियों में तनाव बने रहना।
बार-बार दर्द व बुखार महसूस होना।
इम्यूनिटी कमजोर होना एवं दुबलापन बने रहना।
बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस होना।
तनिक भी चलने पर सांस फूलने लगना।
अस्थमा अटैक –
वह स्थित है जिसमें अस्थमा के सभी लक्षण बहुत ज्यादा तीव्र हो जाते हैं।
जैसे – मरिज सांस को बहुत जोर लगाकर खींचता है तब सांस अंदर जाती है और बहुत ज्यादा जोर लगाता है तो सांस बाहर आती है।
इसी प्रकार अन्य लक्षण
जैसे- खांसी ,चेस्ट पेन, घबराहट, सीने में सिटी बजना, बुखार आदि भी तीव्र हो जाते हैं
अस्थमा में सहायक उपाय
क्या करना चाहिए –
यदि आपको अस्थमा के ज्यादा लक्षण परेशान कर रहे हैं तो निरंतर अपने डॉक्टर के निगरानी में दवा लेते रहें।
एलर्जी का पता करके उसे सदा बच्चे!
प्राणायाम करते रहें जिससे श्वास नली और फेफड़ों में जमा कफ निकलता रहे।
मुंह पर मास्क व रूमल हमेशा लगाए रखें जिससे नाक के रास्ते एलर्जन आसानी से ना जा पाए।
चिंता को दूर करने का प्रयास करें और हमेशा प्रसन्न रहें।अस्थमा का अटैक होने पर गर्म पानी पिए और पैर को गर्म पानी में रखें।
एक लहसुन की कली पीसकर एक चम्मच सरसों के तेल में मिला लें और चुटकी भर सेंधा नमक डालकर हल्का गर्म करके सीने और पीठ पर मालिश कर दें।ऊपर से गर्म कपड़ा लपेट दें।
क्या नहीं करना चाहिए –
अपनी कार्य क्षमता से अधिक परिश्रम का कार्य न करें।
भोजन करके तुरंत न सोये
एस्प्रिन का सेवन न करें।
धूम्रपान करने की आदत छोड़ दें।
बरसात में भीगने से बचें।
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